Delhi Metro Cleansing and Upkeep Procedure: पिछले एक महीने में दिल्ली मेट्रों की सेवाएं कई बार तकनीकी समस्याओं की वजह से प्रभावित हुई हैं, जिससे लोगों का परेशानी का सामना करना पड़ा. दिसंबर 2002 में शुरू हुई दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) में हर दिन एवरेज 30 लाख से ज्यादा लोग ट्रैवल करते हैं. हालांकि कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) आने से पहले ये संख्या काफी ज्यादा थी. दिल्ली मेट्रो में यात्रियों को हमेशा बेहतर सुविधा मिलती है, लेकिन क्या आपको पता है कि दिल्ली मेट्रो की सफाई कैसे होती है और ट्रेनों के अलावा स्टेशन कैसे हमेशा चमकते रहते हैं.
कितना बड़ा है दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क (Delhi Metro Community)
दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) का नेटवर्क लगातार बढ़ता जा रहा है. मौजूदा समय में नोएडा-ग्रेटर नोएडा कॉरिडोर और गुरुग्राम के रैपिड मेट्रो को मिलाकर दिल्ली मेट्रो का संचालन 390.14 किलोमीटर रूट पर हो रहा है और 286 स्टेशनों पर यात्रियों को मेट्रो की सुविधा मुहैया की जा रही है. हालांकि, इसके बाद भी मेट्रो के आगे बढ़ने की रफ्तार कम नहीं हुई है और कई रूट पर अभी भी काम चल रहा है.
कितने बजे शुरू होती है दिल्ली मेट्रो की सर्विस (Delhi Metro Timing)
दिल्ली मेट्रो की सेवाएं (DElhi Metro Carrier Timing) आमतौर पर सुबह 5:30 बजे से शुरू हो जाती है और राज 11:30 बजे तक चलती है. हालांकि, हर स्टेशन पर पहली ट्रेन और अंतिम ट्रेन के समय अलग-अलग होते हैं. एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर मेट्रो की सेवाएं आमतौर पर सुबह 4.45 बजे शुरू होती हैं और रात 11.30 बजे तक चलती है. पीक टाइम (Height Hours) में हर 2-3 मिनट में मेट्रो की सेवा मिलती है, जबकि नॉन पीक टाइम के दौरान ट्रेनों के बीच 5-10 मिनट का अंतर होता है.
कैसे होती है दिल्ली मेट्रो की मेंटेनेंस और सफाई (Delhi Metro Cleansing and Upkeep)
दिल्ली मेट्रो के मेंटेनेंस और सफाई (Delhi Metro Cleansing and Upkeep) के लिए कुल 14 डिपो बने हुए हैं, जहां रात 11 बजे से 1 बजे तक काम होता है. दिल्ली मेट्रो के हर डिपो (Delhi Metro Depot) में करीब 40 ट्रेनें मेंटेनेंस और सफाई के लिए आती हैं. हर डिपो में लगभग 100 लोग रोजाना इन ट्रेनों की सफाई और मेंटेनेंस का काम करते हैं.
दो फेज में किया जाता है मेट्रों का मेंटेनेंस (Delhi Metro Upkeep)
दिल्ली मेट्रो के मेंटेनेंस (Delhi Metro Upkeep) का काम दो फेस में किया जाता है. पहले फेज में ट्रेनों की सफाई की जाती है और दूसरे फेज में गड़बड़ी को ठीक किया जाता है. डिपो में आने के बाद ट्रेनों की धूल-मिट्टी की सफाई ऑटोमैटिक मशीन से की जाती है. इसके बाद ट्रेनों के फॉल्ट को चेक किया जाता है और ठीक किया जाता है. हालांकि, गड़बड़ी कहां ठीक की जाएगी, इसका फैसला कंट्रोल रूम में लिया जाता है और फिर ड्राइवर को इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं कि वे ट्रेन को किस ट्रैक पर खड़ी करें. दूसरे फेज में ही मेट्रो ट्रेन के सॉफ्टवेयर अपडेट, टेलिकॉम ऑपरेशन, व्हील्स की चेकिंग, सिग्नल सिस्टम, इलेक्ट्रिक सप्लाई, एयर कंडीशन और कोच की बॉडी की जांच भी की जाती है.
स्टेशनों की भी लगातार होती रहती है सफाई
मेट्रो ट्रेनों के अलावा दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के सभी 286 स्टेशनों (Delhi Metro Stations) की सफाई लगातार होती रहती है. दिल्ली मेट्रो के कर्मचारी लगातार स्टेशन की सफाई में करते रहते हैं. इसके अलावा यात्रा के दौरान भी कर्मचारी मेट्रो ट्रेनों के अंदर सफाई करते रहते हैं.
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